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रातों में नींदें
आती नहीं अब
दिन में भी चैन
होता नहीं
सब कुछ भुला के
पा जाऊंगा सब
जो तू मेरी
हो गयी
अब बस तन्हाई है
साथिया मेरी
अपनी परछाई से
की है दोस्ती
सपनो में छाई हैं
यादें तेरी
नाजाने कब आयेगी
मिलने की घडी
रातों में नींदें
आती नहीं अब
दिन में भी चैन
होता नहीं
सब कुछ भुला के
पा जाऊंगा सब
जो तू मेरी
हो गयी
साजिशें की हैं मैंने
भूलने की तुझे
पर भूलूंगा नहीं
सासें जब तक चलें
कभी आओगी
मिलने जो मुझसे
दिलों को पाओगी
आंसूं रोकते हुए
रातों में नींदें
आती नहीं अब
दिन में भी चैन
होता नहीं
सब कुछ भुला के
पा जाऊंगा सब
जो तू मेरी
हो गयी