Thursday, December 31, 2009

ASHK-E-DOORIE

तू ही है मेरी मोहब्बत
तू ही है मेरी जान
तेरे चरणों में है जन्नत
और तू ही है मेरी शान

काले बादलों सा तेरा रंग
और रूप नही है सोना
फिर भी दूर होके मई जैसे कटी पतंग
इसलिए चाहता नही तुझे खोना

काले बदल ही बुझाते हैं प्यास
और लालच जगाता है सोना
तुझसे दूर हूँ तुझे मिलने की है आस
और हर जनम में चाहता हूँ बस तेरा बेटा होना

याद नही कब तुने गले लगाया था
कब मई सोया था मेरा सर तेरी गोद में
कब अपने हांथों से खिलाया था
सोच सोच के रो देता हूँ तेरी याद में

दिल-ऐ-तमन्ना है माँ
गर्व से तेरा सर ऊँचा करदूं
कहे तुभी ऐसा बेटा मिलेगा कहाँ
तेरे सहारा मांगने पे अपने आप को ही समर्पित करदूं

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