Saturday, October 23, 2010

सूखी बारिश

बारिश मे हूँ मैं सूखा
आसुओं मे हूँ घुलता
देते बादल हैं मुझको धोका
मैं हूँ साफ़ पर दुनिया धुओं में 

काश मैं ये नदी होता
अपनी राह पता होती
क्योंकि टूटा मेरा एक सपना
जिसमे तुम मेरे साथ होती

भीगे कपड़े चूमे मुझको
याद दिलाएं तूम्हारी
मृत्यु से मेरी सुख मिले ठन्डे पवन को
दिल खोले धागे यादों के हमारी