Tuesday, April 24, 2012

खुदा की प्रेरणा

खयालो में तुम्हारे
मै झूल जाता हूँ
खुबसूरत हो इतनी
के तुम्हे देख के
तुम्हारी तारीफ करना ही भूल जाता हूँ

शब्द बोल पाते नहीं
बातें जो होती हैं आँखों से
मूंदुं जो ऑंखें
ख़याल तुम्हारे
झलकते हैं लबों पे

मोहब्बत का हर किस्सा
अब प्यारा लगता है
जो भी है मेरा
अब
हमारा लगता है

परियो की खूबसूरती
अब फीकी लगती है
कैसे बनाये खुदा खूबसूरती
जब उसकी प्रेरणा
अब धरती पर बस्ती है